- जख्म न छेड़े आँसू हैं बेताब छलकने लगते हैं
सूखे फूल किताबों में ही रख्खे अच्छे लगते हैं
- दरिया ऐ गम इन आंखों से किसने बहते देखा है
बड़ी उम्र वाले भी दुःख में मासूम से बच्चे लगते हैं
- वक्त नहीं मिलता यारों को जीवन के जंजालों से
वे सच्चे होकर हंसते हैं तो कितने अच्छे लगते हैं
- नही चाहिए किसी की दौलत न कोई दे पाया है
प्यार के दो बोल अय गर्दूं कितने मीठे लगते हैं
- बिना इबादत इमारतें सब मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे
जिनको नूरऐखुदा मिला उनको सब एक ही लगते हैं