विनय न मानत जलधि जड़ ये लातो के मीत
चाकर से मत आस कर भय बिन होय न प्रीत
हम अनुगामी थे शौर्य के सिंहो के आदर्श
भेड़ो के अनुगमन के हम कब हुए प्रदर्श
करते रहो सवाल कि जब तक स्याही न जाए सूख
मृगतृष्णा है आस कि जिनको धन मद पद की भूख
विनय न मानत जलधि जड़ ये लातो के मीत
चाकर से मत आस कर भय बिन होय न प्रीत
हम अनुगामी थे शौर्य के सिंहो के आदर्श
भेड़ो के अनुगमन के हम कब हुए प्रदर्श
करते रहो सवाल कि जब तक स्याही न जाए सूख
मृगतृष्णा है आस कि जिनको धन मद पद की भूख