मैं बनाता रह गया श्रेष्ठता का काफिया
औ प्रतिष्ठा ले गया लूट कर एक माफिया
अनसुनी करते रहे वो हर गुहारो प्रार्थना
एक्शन जब हो गया तब कहा ये क्या किया
इस तरह से मत खुलो कि संतुलन खोना पडे
भांप कर मज्मूने खत हंस पडा था डाकिया
कष्ट किश्तों में भला या फ़िर गुलामी चाहिए
भींच ले तू मुठ्ठियाँ बदले हर इक जुगराफ़िया
तख्ता पलट होने में कितनी देर लगती है कहो
केन्द्र तब तक ही सुरक्छित अहम जब तक हांशिया
उद्विग्नता बढ़ती गयी ज्यों ज्यों निकट मंजिल हुई
कर दवा कुछ होश की ला पिला दे साक़िया
किताब मिली - शुक्रिया - 22
1 month ago
जब आप ने मतले में काफिया और माफिया शब्द का प्रयोग किया तो आप आफिया का निर्वहन क्यों नहीं कर रहे हैं ?
ReplyDeleteडाकिया, जुगराफ़िया ???
आप को तो इस बात की जानकारी भी है जब जानकार लोग ऐसा करते है तो दुःख होता है
वाह गर्दू जी वाह.
ReplyDeletewah gafil ji, hindi, english, urdu shabdon ka behatareen prayog ke saath lajawaab rachna hai. dheron badhai.
ReplyDeletewaah sir bahut khoob ..realy nic poetry
ReplyDeleteउद्विग्नता ka kyua arth hota hai plzzzz batane ki kirpa kare thanks
achha likha hai aapne,bikul alag sa kuch tha...
ReplyDeletehaan vaise upar diye comment me jo galti batayi gayee hai,wo baat to theek hai...par ise ek muktak ke roop me dekh sakte hai hum...
वाह-वाह आधुनिकता का समावेश बढ़िया लगा
ReplyDelete---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
सम्माननीय अनोनामुस जी
ReplyDeleteआप की बेपनाह मुहब्बत का शुक्रिया
मगर बड़ी साफगोई से यह मानता हूँ
१ . वक़्त की कमी
२ .मेहनत की भी कमी
३. शब्दकोश की कमी
और हुनरमंदों सेमेल मेल मुलाक़ात कीभी कमी
फिर भी यदि आप कुछ सुझाएँ तो सर आँखों पर
पुनः धन्यवाद
कष्ट किश्तों में भला या फ़िर गुलामी चाहिए
ReplyDeleteभींच ले तू मुठ्ठियाँ बदले हर इक जुगराफ़िया
bahut hi achha sher kaha hai