जब से तुमने राम कहा , राम हुआ जाता हूं
प्रस्तर था सम्मुख तेरे प्रतिमान हुआ जाता हूं
उजला उजला कह कर, सारी कालिख धो दी
कीचड़ कीचड़ अंगनांई में तुलसी तुलसी बो दी
आलोकित मंदिर कर डाला ज्योतित कर दी कुटिया
जर्जर जीवन अभिलाषा को दे दी एक लकुटिया
दूषित कलुषित अपयश था यशगान हुआ जाता हूं
कामुक था सम्मुख तेरे निष्काम हुआ जाता हूं
जब से तुमने राम कहा , राम हुआ जाता हूं
प्रस्तर था सम्मुख तेरे प्रतिमान हुआ जाता हूं
प्रियवर प्रियवर कह कर मेरे कांटे सभी निकाले
क्रोध घृणा मत्सर नकार के शांत किए सब छाले
नेह प्रीत अभिसिंचित कर द्वेष और क्लेष बहाया
हीन पतित जग जीवन में उत्स और मोद जगाया
गरलताल था ,अमृतसर रसखान हुआ जाता हूं
अरिसुर था सम्मुख तेरे लय धाम हुआ जाता हूं
जब से तुमने राम कहा , राम हुआ जाता हूं
प्रस्तर था सम्मुख तेरे प्रतिमान हुआ जाता हूं
"महामना" जगदीश गुप्त
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