बड़े दिनों के बाद अफातु भाषा की एक रचना
कारवा ए तूफां गुजारा कहां है
अभी संग ढ़ग से उछाला कहां है
उड़ जाएगें तमाम हमामों के पर्दे
अभी जोश ने जोश पाला कहां है
अभी अपने अहलेअहद में हैं बैठे
औ कोई परचम निकाला कहां है
गुलूकार हम भी हैं माहिरे फन
हमें मौसिकी ने संभाला कहां है
ऐ ग़रदूं गज़ल तेरी है ये अधूरी
अभी इश्क इसमें डाला कहां है
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25/8/2017
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