ह्रदय योग कर दे ,हमें मीत कर दे
चलो कोई ऐसा ,लिखें गीत, गायें।
सूखी पडी है, नहर नेह रस की
पतित पावनी गीत गंगा बहायें ॥
दृग्वृत पे मन के दिवाकर जी डूबे
उचटते हुए प्रीत बंधन हैं ऊबे ।
कुसुम चाव के ,घाव खाए पड़े हैं
गीत संजीवनी कोई इनको सुनाएँ ॥
ह्रदय योग कर दे ......
चकाचोंध चारों तरफ़ ,फ़िर भी कोई
तिमिर के घटाटोप पे आँख रोई ।
कहींपर निबलता कहीं भूख बिखरी
इन्हे ज्योति के गीत देकर जगाएं ॥
ह्रदय योग कर दे ......
घटाओं को तृप्ति बरस कर ही मिलती
हमीं पड़ गए संचयों में अधिकतम ।
इसी से हुए प्राण बेसुध विकल कृष
गीत अमृत इन्हें आज जी भर पिलायें ॥
ह्रदय योग कर दे ........
घटाओं को तृप्ति बरस कर ही मिलती
ReplyDeleteहमीं पड़ गए संचयों में अधिकतम ।
इसी से हुए प्राण बेसुध विकल कृष
गीत अमृत इन्हें आज जी भर पिलायें ॥
ह्रदय योग कर दे ........
behatareen panktian. badhaai.
Ye geet sach me ek sanjeevani de gaya...!
ReplyDeleteचकाचोंध चारों तरफ़ ,फ़िर भी कोई
ReplyDeleteतिमिर के घटाटोप पे आँख रोई ।
कहींपर निबलता कहीं भूख बिखरी
इन्हे ज्योति के गीत देकर जगाएं ॥
बहुत ही अच्छी रचना !! बधाई
pyaar ki sukhi nadi me aapka geet bars gya jaise....
ReplyDeleteचकाचोंध चारों तरफ़ ,फ़िर भी कोई
ReplyDeleteतिमिर के घटाटोप पे आँख रोई ।
कहींपर निबलता कहीं भूख बिखरी
इन्हे ज्योति के गीत देकर जगाएं ॥
waah gafil ji lajvaab rachna hai ... mujhe 3 bar padhkar acchi tareh samajh me aayee :-)
very deep and meaning ful ....
apka ye geet padhkar apni kuch lin yaad gayee
jindgi ek geet hai
geevan hai sangeet
sukh dukh iske sur or surgum
preet hai iski reet
jo iski taal se taal milaye
vo hi sancha meet ....
kuch choti choti najme mere blog par apki comment or margdarshan ki abhilashi hai...gor farmaye..
ReplyDeleteज्यादा दिनों के बाद जब रचना होती है तो उसका फायदा यह होता है कि रचना कुछ अधिक आन, बान, शान लिए आती है. लेकिन हुज़ूर, रचना गायब तो आप भी गायब!! कहीं विवाह तो नहीं कर दिया गया. अगर ऐसा हो गया तो दुःख की इस घड़ी में इतने मित्रों में से किसी एक का कंधा तो चुनना चाहिए था.
ReplyDeleteखैर, गीत बहुत ही बढ़िया बन पड़ा है. मुझे, सच बताऊँ, जलन हो रही है.
बहुत ही सुन्दर शब्दों का चयन किया है आप ने इस कविता को रचने में.
ReplyDeleteअद्भुत!मनमोहक!
सच में ,बहुत ही सुन्दर गीत बना है...हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओँ में आप बहुत खूब लिखते हैं.
बधाई.
5 टिप्पणियाँइस विंडो को बंद करें सीधे टिप्पणी फॉर्म पर जाएँ
ReplyDeleteDr. Smt. ajit gupta ने कहा…
बहुत ही सारगर्भित गीत, बड़ा ही अच्छा बन पड़ा है। मेरी बधाई स्वीकारें। ऐसा ही लिखते रहें।
October 29, 2009 12:40 PM
Nirmla Kapila ने कहा…
बहुत प्रेरक और सार्गर्भित रचना है बधाई
October 29, 2009 1:52 PM
भंगार ने कहा…
बहुत सुंदर सोच है आप की
October 29, 2009 3:56 PM
M VERMA ने कहा…
सुन्दर गीत. भाव परिपूर्ण
October 29, 2009 5:16 PM
Amit K Sagar ने कहा…
बहुत-बहुत अच्छी रचना. बधाई.
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