चांदनी हो मुबारक सभी को चाँद आया है रस बरसाने
लेके अंगडाई अरमान जागे, फ़िर हरे हो गए हैं फ़साने
वक्त के घोल में तल्खियों को ,यूँ खंगाला बहुत वक्त मैंने
दाग दिल के मगर सख्त निकले ,आगये चांदनी में रुलाने
सूखी हुई झाडियों में ,आज खिल आई है फ़िर से कोंपल
उम्र दौडी है पिछली गली में ,गुजरे कल को गले से लगाने
हर सदी लेके आई सदी को ,बिना पूंछे ही नेकी बदी को
आप आए न दामन झटक कर,चांदनी आ गयी फ़िर बुलाने
याद के बुलबुले झाग बन कर, छा गए उम्र की वादियों में
आँख छलकीहै शायद तुम्हारी,बनके शबनम लगी मनभिगाने
लेके अंगडाई अरमान जागे, फ़िर हरे हो गए हैं फ़साने
वक्त के घोल में तल्खियों को ,यूँ खंगाला बहुत वक्त मैंने
दाग दिल के मगर सख्त निकले ,आगये चांदनी में रुलाने
सूखी हुई झाडियों में ,आज खिल आई है फ़िर से कोंपल
उम्र दौडी है पिछली गली में ,गुजरे कल को गले से लगाने
हर सदी लेके आई सदी को ,बिना पूंछे ही नेकी बदी को
आप आए न दामन झटक कर,चांदनी आ गयी फ़िर बुलाने
याद के बुलबुले झाग बन कर, छा गए उम्र की वादियों में
आँख छलकीहै शायद तुम्हारी,बनके शबनम लगी मनभिगाने
shabdon ka akaal pad gaya gafil ji , shabd kahan se laaun, bas ..........anupam .....rachna. dheron badhaai.
ReplyDeleteखूबसूरत कहन आपको भी शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं
ReplyDeleteचांदनी हो मुबारक सभी को चाँद आया है रस बरसाने
ReplyDeleteलेके अंगडाई अरमान जागे, फ़िर हरे हो गए हैं फ़साने ...fsaane hare hi rahte hai...gujre kal ko bhala koun gale laga paya hai....hath me jo aye wo apna hi saya hai...shabnam shayd sach me kisi ankh se chhalki hai.....
शरद पूर्णिमा की बधाई के साथ प्रस्तुत कविता पूनम के चाँद को और भी हसीन बना गयी. जैसे आपकी कविता के मुकाबले प्रकाशित चित्र २१ साबित हो गया, हालाँकि कविता का हुस्न अपनी जगह बरकरार है.
ReplyDeleteमेरी ओर से शरद पूर्णिमा, गाँधी जयंती, शास्त्री जयंती, मजरूह सुल्तानपुरी जयंती पर एक साथ शुभकामनायें.
चित्र लुभा रहा है..और आप की यह ग़ज़ल भी..
ReplyDeleteआखिरी शेर बहुत खूबसूरत लगा!
चांदनी हो मुबारक सभी को चाँद आया है रस बरसाने
ReplyDeleteलेके अंगडाई अरमान जागे, फ़िर हरे हो गए हैं फ़साने
गर्दू जी आदाब.....!!
आपके शब्द को कहर बरसा रहे हैं .....!!
शरद पूर्णिमा की शुभकामनायें! बहुत ख़ूबसूरत चित्र है और साथ में बेहद सुंदर कविता जो काबिले तारीफ है!
ReplyDeleteएक ही जिंदगी अपने काबू में है
ReplyDeleteवक़्त है कीमती जाया क्यूँ कर दिया
जो घरोंदे गए ,बे पसीना न थे,,,
मिला था लहू भी जिगर जान का
आँख roye न roye मगर dilka क्या
zakhm bahta है jhar jhar katee aan का
shauke bijlee ने foonka nasheman को
है andaz किसको दिल के toofan का
niradar की saree haden langh कर
ये dava ?bachaya है samman को
uf katil muqaddar को क्या अब kahen
til til jalata है ये jan को
Aapki ye nayab panktiyaan choo gayin ....shukariya ....!!
Tasveer dekh ek geet ki panktiyaa yaad aa gayi ...." Mujhko is raat ki tanhaai mein aawaaz n do ......"
waaaaah gafil ji m short of wards .....sach me bahut badhiya najm hui hai .....maja aa gaya padhkar ....
ReplyDeleteKhoob soorst nazm padh man aanandit hua...Deepon ka tyohar aap aur aapek pariwarko bahut mubarak ho!
ReplyDeleteDua karun ki chandanee aisehee bulane aya kare..
आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteचांदनी मुबारक ,
ReplyDeleteअब आप भी चांदनीमय हो जाएँ क्यूंकि मुझे इस शबनम में कुछ आग दिख रही है
शुभकामनाएं
bahut achchi kavita
ReplyDeletebahut pasand aaye aapke khyaalaat
यह व्यस्तता है या मेरे सिस्टम की खराबी, आज भी जब आपका ब्लॉग खोलता हूँ वही शरद पूर्णिमा सामने आ जाती है. अगर यह सच है तो भाई मेरे आप नम्बर वन हो गये. मैं खुद को ही सबसे बड़ा काहिल समझता था लेकिन अब पता चला कि....'हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे...' ऐसा कब तक चलेगा भाई?
ReplyDelete'Aye chand sun mere shikve,
ReplyDeleteTeree hee chandanee barsaake,
Barson rula raha hai koyi...'
Aapki rachnaon pe kya comment karun?
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
सुन्दर
ReplyDelete