बतियाने से समय कटेगा ,
कदम उठें तो बात बनेगी
सोये रहजाना उचित नहीं ,
मत सोच कि कोई खरा नहीं
लहरों पर भी करो सवारी,,,,
उड़ना भी कुछ बुरा नही ।
किंतु न अपनी धरती छूटे,,
न जगती का छूटे मान
शत्रु से यदि रार न ठानी ,
रार स्वयं से आन ठनेगी
अन्यायी से मेल न करना ,
शक्तिमन्त्र को सदा पालना
बीज विजय का ,गीत प्रीत के ,
ऊँचें सपनों को सम्हालना
सज्जन शक्ति का संचय और
मदमत्ता का रखना ध्यान
किंचित भ्रम में मत रहना ,
धरती कोई अवतार जनेगी
कदम उठें तो बात बनेगी
सोये रहजाना उचित नहीं ,
मत सोच कि कोई खरा नहीं
लहरों पर भी करो सवारी,,,,
उड़ना भी कुछ बुरा नही ।
किंतु न अपनी धरती छूटे,,
न जगती का छूटे मान
शत्रु से यदि रार न ठानी ,
रार स्वयं से आन ठनेगी
अन्यायी से मेल न करना ,
शक्तिमन्त्र को सदा पालना
बीज विजय का ,गीत प्रीत के ,
ऊँचें सपनों को सम्हालना
सज्जन शक्ति का संचय और
मदमत्ता का रखना ध्यान
किंचित भ्रम में मत रहना ,
धरती कोई अवतार जनेगी
tooooo goood ..realy nic poetry
ReplyDeleteउड़ना भी कुछ बुरा नही ।
ReplyDeleteकिंतु न अपनी धरती छूटे,,kahne ko do lines hai par bahut gahri baat hai...apni mitti pe chalne ka saleeka seekho..sangemarmar pe chaloge to fisal jaoge...
बतियाने से समय कटेगा ,
ReplyDeleteकदम उठें तो बात बनेगी
यहाँ से शुरू हुई कविता... बस कदम बद्वती ही गति.
हर line गजब की है.....
लीजिये हम आ गये बतियाने ,पर समय काटने के लिए नहीं ,ज्ञान देने के लिए , ज्ञान लेने के लिए
ReplyDeleteकिंचित भ्रम में ............ बहुत पसंद आयी
ईद मुबारक
वाह बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसबसे पहले ईद मुबारक. नवरात्र और विजयादशमी की बधाई बाद में. गीत तो आपका है और आप खुद अच्छे हैं तो गीत खराब कैसे हो सकता है. धन्यवाद.
ReplyDeletewah gardu ji,
ReplyDeleteअन्यायी से मेल न करना ,
शक्तिमन्त्र को सदा पालना
बीज विजय का ,गीत प्रीत के ,
ऊँचें सपनों को सम्हालना
khoobsurat shabdon ke mel se bani anupamrachna. badhaai.
बातें हैं इन बातों का क्या...............संसद में ही बैठे रह जाओगे..............
ReplyDeleteकदम उठे तो बढ़ना आगे है.........................बातों से नहीं, अथक परिश्रम से उपग्रह छोड़ना जैसा कार्य समानं हो सकता है................
भाई आपकी कविता काफी अच्छे सन्देश दे गई.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
Gardu bhai
ReplyDeleteAaaj bahut dino bad aapke blog par aaya hu ya kaho kisi bhi blog par bahut dino bad aaya hu. Aapki kavitaye padh kar achha lagata hai likhte rahana.
eid ki mubarakbad..
ReplyDeletekavita apne sandesh ko pahunchane mein saksham hai.
bhrm se nikal kar khud hi kuchh karne ki prerna deti hui.
aadarniya gardu ji, aap mere blog par aaye comment kiya aapka hardik dhanyawaad.
ReplyDeleteaapka comment mere bhajan ke liye.......
geet to ga hi rahe hain
preet bhi hai lagan bhi
sheeghra hi darshan milega
bane rahiye naganhee
aapka comment karna achcha laga parantu main ,
"naganhee" ka matlab nahin samajh saka , shayad kuch likhne mein truti rah gai ho, halanki maine isi moderate kar diya hai, aapka sneh nirantar raha hai krapya , shanka ka samadhaan karen.
bhut khoob
ReplyDeleteati surndar rachna
Behad sundar rachna...aasha se labrez!
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