सरस्वती वंदना
भावनाओं में ,कामनाओं में ,शौर्य सुधा भर दे
वीणा वादिनी ,मातु शारदे ,,राष्ट्र भक्ति वर दे
नीति सन्मति ,सत्य संस्कृति ,सम-आदर ,विश्वास
समता-समरसता के पथ पर दृढ़ प्रतिज्ञ अनुप्रास
अजर-दिव्यता ,अतुल-भव्यता ,,'पूर्ण प्रतिष्ठा दे
सहयोगी सह-भागी भारत , संकुल निष्ठां दे
विज्ञ -तग्यता ,ओज, सभ्यता ,विनत विश्व आकाश
अंतर भारत के जीवन में ,प्रबल -प्रेम,नित्-हास
गुडानुरागी, व्यसन-विरागी तरुण ,सुविद्या दे
धर्मं-अधिष्ठित अखंड भारत ,योगी प्रज्ञा दे
समुचित वृष्टी ,नियमित ऋतुयें , धान, मान ,दिनमान
गौरव पूरित सदय ह्रदय में ,शक्ति-मान अभियान
आत्मा-चेतना , विश्व-योजना , श्रम-तत्परता दे
दुर्जन-हन्ता, सज्जन भारत ,, सत -उर्वरता दे
किताब मिली - शुक्रिया - 22
1 month ago
समुचित वृष्टी ,नियमित ऋतुयें , धान, मान ,दिनमान
ReplyDeleteगौरव पूरित सदय ह्रदय में ,शक्ति-मान अभियान
आत्मा-चेतना , विश्व-योजना , श्रम-तत्परता दे
दुर्जन-हन्ता, सज्जन भारत ,, सत -उर्वरता दे ,
bahut khoobsurat panktian, ati sunder rachna. badhaai............. aameen.
नीति सन्मति ,सत्य संस्कृति ,सम-आदर ,विश्वास
ReplyDeleteसमता-समरसता के पथ पर दृढ़ प्रतिज्ञ अनुप्रास
अजर-दिव्यता ,अतुल-भव्यता ,,'पूर्ण प्रतिष्ठा दे
सहयोगी सह-भागी भारत , संकुल निष्ठां दे
अवाक कर दिया भाई. माँ सरस्वती से प्रार्थना में जो-जो वर मांगे, जिस अंदाज़ में मांगे, जिस भाषा-व्याकरण, सौष्ठव में मांगे, उसने मुग्ध कर दिया. आप की लेखनी उत्तरोत्तर कविता के शिखरों को न केवल छू रही है, बल्कि उन पर विराजमान होती जा रही है. मन करता है, आपकी लेखनी की प्रशस्ति में एक गीत लिख डालूँ. लेकिन डर लगता है, बाकी ब्लागर बन्धु नाराज़ हो जाएँगे. इस लिए थोड़े लिखे को बहुत समझना और लौटती डाक से जवाबभेजना.
अंत में, माँ सरस्वती की असीम अनुकम्पा है आप पर.
बसन्तपंचमी के पहले ही कितना सुन्दर गीत मिल गया. बधाई.
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता है क्या कहें...
हिन्दी के इतने सुंदर शब्दो का प्रयोग किया है.
बहुत ही बहुत अच्छी रचना!
बधाई!
wah bahut khub
ReplyDeletebahut bahut abhar
Yahi dua apne liyebhi karungi..ki, ma Sharda sada desh bhaktee ka jazba manme banaye rakhe!
ReplyDeleteभावनाओं में ,कामनाओं में ,शौर्य सुधा भर दे
ReplyDeleteवीणा वादिनी ,मातु शारदे ,,राष्ट्र भक्ति वर दे
Chahun to yahi chahun!
विज्ञ -तग्यता ,ओज, सभ्यता ,विनत विश्व आकाश
ReplyDeleteअंतर भारत के जीवन में ,प्रबल -प्रेम,नित्-हास
गुडानुरागी, व्यसन-विरागी तरुण ,सुविद्या दे
धर्मं-अधिष्ठित अखंड भारत ,योगी प्रज्ञा दे
Aaj phir ekbaar padhi yah rachana...ek shabd idhar udhar nahi...ek bahti sarita-sa pravah..gazabka fan hasil hai aapko!
मंगलवार 04/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteआप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....
जय माँ सरस्वती....शुभ कामनाए
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