हो सकी इसलिए भ्रष्ट,मति भाई जी सरकार की
करके केवल टिप्पणी खाना पूरी हर बार की
क्या कोइ उपकरण है कवि जी आपके पास
जिसे साध कर बंध सके भारत का विश्वास
भारत का विश्वास सदा पुरुषार्थ रहा है
अपना अतीत संघर्षों का इतिहास रहा है
कौन राष्ट्रहित प्रथम हमारा भाव खा गया
कैसे महापुरुष वृद्धों में ईर्ष्या का भाव आ गया
जब सीख लिया हमने मूल्यों का पतन देखना
एकान्तिक जीवन में ही सुख व्यसन देखना
हम दंड नहीं दे सके तटस्थों को इस युग में
इसीलिये है अधोगति हम सबकी इस युग में
No comments:
Post a Comment