गुंचा ए गुलबदन महकता हुआ
जुल्फ से पाजेब तक खनकता हुआ
रेशमी रूमाल में अंगार की तरह
मोम की नम आंख में दहकता हुआ
शहद के स्वाद में है मय का नशा
पुरगुल इक डाल सा लचकता हुआ
धूप के रंग रंगी चांद की गज़ल सा
नज़र से दिल तक दमकता हुआ
खिलते कंवल सा मंजर हंसी
जैसे घूंघट से चूनर सरकता हुआ
जुल्फ से पाजेब तक खनकता हुआ
रेशमी रूमाल में अंगार की तरह
मोम की नम आंख में दहकता हुआ
शहद के स्वाद में है मय का नशा
पुरगुल इक डाल सा लचकता हुआ
धूप के रंग रंगी चांद की गज़ल सा
नज़र से दिल तक दमकता हुआ
खिलते कंवल सा मंजर हंसी
जैसे घूंघट से चूनर सरकता हुआ
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