गर चांदनी उतर के दामन से लिपट जाए
ऐसे हसीन लम्हें कोई कैसे भूल जाए
रिश्ता अजीब है ये तेरा और जमाने का
तू आरजू बढ़ाए ये बँदिशे बढ़ाए
चेहरे से चरागां कि चरागों से तेरा चेहरा
किससे है कौन रोशन दिल को समझ न आए
तारीफ तेरी कोई तकरीर तो नहीं है
जो दिल में नहीं है वो कैसे कहा जाए
चस्पां हैं इस बदन पे तेरे बोसों के सितारे
चाहे न चाहे ग़रदूं हर रात जगमगाए
ऐसे हसीन लम्हें कोई कैसे भूल जाए
रिश्ता अजीब है ये तेरा और जमाने का
तू आरजू बढ़ाए ये बँदिशे बढ़ाए
चेहरे से चरागां कि चरागों से तेरा चेहरा
किससे है कौन रोशन दिल को समझ न आए
तारीफ तेरी कोई तकरीर तो नहीं है
जो दिल में नहीं है वो कैसे कहा जाए
चस्पां हैं इस बदन पे तेरे बोसों के सितारे
चाहे न चाहे ग़रदूं हर रात जगमगाए
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