लालकिला / मणिपुर/ सियासत
मेले हैं झमेले हैं अकेले हैं यहां इस दुनियादारी में
बहुत कुछ, रखना पड़ता है, यहां पर पर्दादारी में
तौल-ले-बोल तभी मुंह खोल इल्मदां आए हैं कहते
सियासत कब जला दे क्या ? तेरी, ईमानदारी में
वो आए घर,बराएशौक,किया सिजदा,दिया सदका
तोहमतें,, नाम कर दी, फिर ,मेरी तीमारदारी में
सांप की बस्तियों में ,खोल ,दरखिड़कियां रखिए
इरादा जो भी हो ,शक है ,सलह में ,समझदारी में
तोडेगा न छोड़ेगा , रहे कोई , दोस्त या दुश्मन
सियासत दुश्मनों से ,और मुहब्बत फूल यारी में
ग़रदू
22अगस्त 23 को फेसबुक पर प्रकाशित
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