मूरखन के संसार में ज्ञानी की है मौज
विज्ञान कला के पीछे भागे जग की फौज
अंतर क्या है ठगी से भक्ति का बतलाओ
कहे कहे में ना चले करके भी दिखलाओ
कवि प्रवाचक भांजते आपस में क्यों लट्ठ
दोनों खावें शब्द की भक्त पड़े हैं पट्ट
गाली देने में भला लगे न एक छदाम
एक शब्द निकसे नही लगे यदि कुछ दाम
देख लिफाफा भरकमी कवि कर ले कन्ट्रोल
.दिन तेरा भी आएगा लग जाएगा मोल
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