चाहना हक नहीं उल्फत ,मुहब्बत तो है मिट जाना
बाँटना मुस्कुराहट ही ,फकत चाहत का पैमाना
जमाने के लिए रोता , जमाने लिए हंसता
मजहब जिसका मुहब्बत है जमाने के लिए मरता
उम्मीदें जिसने पालीं हैं ,वही गमगीन होता है
जिसे तुम आजमाओगे, वही टूटेगा पैमाना
खोल लो दिल के दरवाजे ,हवाओं को गुजरने दो
अंदेशे तो सदा होंगे ,उन्हें भी वार करने दो
सच्चाई जान लेने दो , गुरुर ऐ बद गुमानी को,
वो चाहत ख्वाब है याफ़िर दिलेवहशत का अफसाना
किताब मिली - शुक्रिया - 22
1 month ago
खोल लो दिल के दरवाजे ,हवाओं को गुजरने दो
ReplyDeleteअंदेशे तो सदा होंगे ,उन्हें भी वार करने दो
एक एक शेर में सन्देश है बहुत अच्छी रचना
मजहब जिसका मुहब्बत है जमाने के लिए मरता
उम्मीदें जिसने पालीं हैं ,वही गमगीन होता है
..बड़ी ही बढ़िया बात कही है आपके ब्लॉग पर आने से एक पश्चाताप हुआ की मई पहले क्यूँ नहीं इधर आया ....एक स्तरीय और उम्दा किस्म का ब्लॉग है आपका
मेरा अभिवादन स्वीकार करें
जमाने के लिए रोता , जमाने लिए हंसता
ReplyDeleteमजहब जिसका मुहब्बत है जमाने के लिए मरता
उम्मीदें जिसने पालीं हैं ,वही गमगीन होता है
जिसे तुम आजमाओगे, वही टूटेगा पैमाना,
wah bahut khoob , sarahniya rachna ke liye badhai.
Behtareen nazm likhee hai aapne.." ...jise aazmaaoge, wahee tootegaa paimana.."....kitna sahee hai...ye sach jeekar hee seekha jaa sakta hai..
ReplyDeletePuranee kahawatpe ek kavita likhee huee hai maine.." zeherkaa imtehaan mat leeje.."
Mere"Kahanee" blogpe chand kahaniyan hain. Mai uski URL aapko kuchh derme forward kar detee hun.
http://shama-kahanee.blogspot.com/
ReplyDeleteYe mere blogkaa link hai...
Aapki tippaniyonkaa intezaar rahega.
snehsahit
shama
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपके बेहेतरीन शायरी के लिए !
मुझे आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा लगा ! आप बढ़िया लिखते हैं !
मजहब जिसका मुहब्बत है जमाने के लिए मरता
ReplyDeleteउम्मीदें जिसने पालीं हैं ,वही गमगीन होता है
बहुत जानदार बात कही है, अपने इस गीत में. उपरोक्त पंक्तियाँ तो सोने पर सुहागा.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
आप सब लोग, जो मेरी ये टिपण्णी पढ़ रहे हैं, जानते ही है कि गर्दू जी बड़े बेहतरीन शायर है. पर आप जो नहीं जानते हैं वो ये है कि गर्दू जी बड़े प्रेरक इन्सान भी हैं. इनके व्यक्तित्व के और भी कई नेक पहलू हैं. जो मैं आप सब को धीरे धीरे बताउगा. इन्होने अपना पूरा प्रोफाइल भी नहीं बनाया होगा. ये हमेशा ही नेपथ्य में रह कर चुपचाप अपना काम करने में विश्वास रखते हैं. बातें बहुत सी है पर अभी पीछे से गृहस्थी आवाज दे रही है. जाता हूँ, शेष फिर.
ReplyDeleteवाकई,गर्दू जी आदमी जितना अन्दर से खुला होगा, आनंद उतना ही उसके अन्दर होगा , आपकी रचना दिल को छू गई, खोल लो दिल के दरवाजे ,हवाओं को गुजरने दो वाह, वाह,वाह बहुत बढिया,
ReplyDeleteगर्दू जी मनोज जी आपकी बहुत तारीफ कर रहे हैं, अपना प्रोफाइल पूरा करो और हमें बताओ आप हैं कौन
ReplyDeletekitna achha likhte hai aaap......chahna haq nahi ulfat..mohhabbat to hai mit jana...very true....
ReplyDeleteभाई गाफिल साहब, इतनी तारीफों का मैं हकदार कब हूँ, आप खुद तो आसमान पर चाँद बने बैठे हैं और हम जमीन के जर्रों को आफताब बनाने की मुहीम छेड़े हुए हैं. अपना ई- मेल मुझे भेजें ताकि आपसे तफसील में गुफ्तगू की जा सके
ReplyDeleteगर्दू जी,
ReplyDeleteआप के पास तो गजलों का खजाना है कुछ और नायब मोती पोस्ट करो. हम आप के फैन, पंखा, ऐ सी, सब हैं. हमारा कुछ तो ख्याल करो.
kya badhiya likhtey hain aap!!
ReplyDelete