हृदय पटल के पग पग पर सुधियों का मेला है
फिर से आ गई होली फिर से मन रंगीला है
भंवरे तितली फूल और कलियां सब हैं मस्ती में
गली गली मदमाया मौसम डोले बस्ती में
रंग अबीर घुला रग रग में मन की मौजो में
बूढ़ा बरगद बाबू सोना हुआ सजीला है
कीच बना श्रृंगार आज हुड़दंगी टोली का
गल गलौच है अलंकार इठलाती बोली का
होड़ ले रहा महलो से उल्लास भी खोली का
बाहर तन और अन्तर्मन सब गीला गीला है
पुलक रहा है अंग अंग बिना पिए ही भंग
मन करता मनुहार करे कोई आज मुझे भी तंग
जीत वार दूं आ दुलार दूं करू न कोई जंग
चूक न जाना होली का त्यौहार नशीला है
जय होली जय जय प्रहलाद जय रंगोत्सव जय आह्लाद
आज जोड़ लें टूटे पुल पार करें कर लें संवाद
राजनीति को हद बतला दें राग राग में करें निनाद
समरसता का उत्सव यह कान्हा की लीला है
मम
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