Friday, March 31, 2023

संसार तो छलिया है अंधेर है डगर डगरकीच और काँटों से निज को ही बचना हैपग पग पे प्रलोभन हैं फूलो में हैँ नाग बसेया तो शिव होना है या संभल निकलना हैआभार भार होता उपहार हार होताकिसकी है नीयत कैसी यह आप समझना हैमहामना

कहते तो यही हैं सब यह ईश की रचना है 
धूप छाँव सुख दुख हमको ही चखना है 
संसार तो छलिया है अंधेर है डगर डगर
कीच और काँटों से निज को ही बचना है
पग पग पे प्रलोभन हैं फूलो में हैँ नाग बसे
या तो शिव होना है या संभल निकलना है
आभार भार होता उपहार हार होता
किसकी है नीयत कैसी यह आप समझना है
महामना

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