बहोत अँधेरा घिर आया है दिल की राहों में
जलाओ दीप मोहब्बत के तुम निगाहों में
हुज़ुमे गम है चुभन दिल में नमीं आंखों में
लोग डूबे हैं अंधेरों में सुरुरों में औ अनाओं में
करूं निसार हजार बार ये जिंदगी तुझ पर
दौरे गर्दिश में भी जीता... रहा वफाओं में
हर तरफ तंज कहीं रंज, है बदगुमानी कहीं
सुकून ऐ दिल की तलब है मेरी सदाओं में
सम्भलो तहजीब पे हमलों का दौर है यारो
बहोत है दर्द ऐ वतन मरहम चढाओ ग्घवों में में
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