घरवाली और घरवाले में दंगा हो गया
बीवी निकली दबंग आदमी नंगा हो गया
गुस्ताखी बस इतनी सी पतिदेव ने कर दी
मांगा था नेकलेस हाथ में लाकर चैन ही धर दी
चैन भी क्या थी दुबली पतली दो तोले की माशा
इसी बात पर सुबह शाम का हो गया खूब तमाशा
ऐसा मिला निखट्टू इससे कौन लगाऊं आशा
हाय हाय बादाम बताकर पकड़ा दिया बताशा
होली हुई दिवाली में और दिवाली....होली
पूरा सीजन निकला , वैलेंटाईन कतई न बोली
जी भर कोसा गाली भी दी और बहाई गंगा
धू-धू करके शंमा जली और साथ में जला पतंगा
फिर चैन वैन सब उजड़ा पंगा हो गया
एक दिन किसी के घर में यूं दंगा हो गया
बड़े चैन से कटते थे दोनों के दिन रात
घूमते फिरते रहते थे लिए हाथ में हाथ
हम हैं लैला मजनू ..कभी ना छूटे अपना साथ
खाया करते थे यूं कसमें बात बात बेबात
कल्लू कालू पर करती थी गोरी जब बरसात
देख देखकर जलती थी रंडवो की बारात
देख एक विज्ञापन हीरा सदा के लिए है
बोलगया फिर बड़ा -"निछावर" अदा के लिए है
दौड़ा भागा पति बहुत पर हुआ ना कोई जुगाड़
यूं चांदी का चमचा आखिर हो के रहा कबाड़
रांझा बन गई बिल्ला हीर भी रंगा हो गया
एक रोज किसी के घर में यूं दंगा हो गया
ऐसा उनमें मेल मिसाले देते थे सब लोग
पीस पीस कर दांत मसलते थे हाथों को लोग
लेते थे चटकारे भर भर के मस्साले लोग
हुआ नहीं वह भी कहते थे दिल के काले लोग
लगी निगोड़ी हाय बद्दुआ जब उसे मिला वेटेज
करते हैं जो प्यार घणी से घर लाते हैं प्रेस्टेज
प्रेस्टीज का प्रश्न बन गया कुकर ने मारी सिट्टी
होना था फिर वही हुआ पति को लग गई पट्टी
आखिरकार मोहब्बत उन ने इस तरह से खर्ची
इस ने ले ली हाथ में मिट्टी उसने ले ली मिर्ची
बचे न सर पर बाल बेचारा "कंघा" हो गया.
एक रोज किसी के घर में यूं दंगा हो गया