जुबां खानदान का पूरा पता देती है
सीरतोअक्ल और इल्म बता देती है
घुस आए हैं उन्ही को डर लगता है
चोर की दाढ़ी बूटे का पता देती है
घिर के आई ये कारी बदरिया कैसी
हवा की मौज मौसम का पता देती है
बयां पे हंसते रहे उनके कोतो काजी
आंख की चाल शरारत का पता देती है
गंरदू को नहीं मालूम तुम्हारी तबियत
जर्द सूरत ही बीमारी का पता देती है
ग़रदू गाफिल
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