बिप्लव रख कर मुट्ठी में
क्रांति लिख देंगे चिट्ठी में
भूखों को सम्मानजनक रोटी अनुबंधित हो
श्रम शक्ति को उचित मूल्य अवसर अ-बाधित हो
दुःख दुविधाओं का बंटवारा नाश अभावों का
भस्म न हो पाए विकास ईर्ष्या की भट्टी में
गांवशहर के मध्य मित्र बंधुत्व प्रबंधन हो
शोषण का निर्ममता से तत्काल निलंबन हो
राजनीती की कु दृष्टी कु चाल करें बाधित
रस्सी कुत्सित व्यालो के कसिये घिट्टी में
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
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