रामराज स्थापना अब यही राष्ट्र आराधना
इक दूजे से विनय करें हम करें यहीं बस प्रार्थना
राम भुवन निर्माण की बेला संकल्प हमें भी करना है
शुचिता शुभता जनकल्याणी भाव हृदय में भरना है
मानवता की सुगंध फैले ऐसे सुरभित कर्म करें
बनने लगा राम का मंदिर रामराज की ओर चले
देह देव भौतिक तापों से मुक्ति की है कामना
उल्लासित मन हुआ मयूरा राम राम हर भावना
देशोत्तम , पुरुषोत्तम की आभा से संयुक्त हुआ
प्यासी भक्ति तरस रही थी आज राष्ट्र संतृप्त हुआ
विजय मार्ग में आने वाली बाधाओं को हरना है
शौर्य त्याग निष्ठा करुणा के भाव हृदय में धरना है
श्रम साधक की आराधक की पूरी हो हर साधना
भ्रष्टाचार भूख और भय की मिटे हर एक संभावना
ज्ञान और विज्ञान समुन्नत निर्माणों का ध्येय धरें
धरे विमल मति हृदय प्रेम गति निर्मल मर्यादा वरण करें
अपने अपने हिय मंदिर में राम प्रतिष्ठित करना है
अपने रावण से मुक्ति ले देह अयोध्या करना है
रामराज्य लाने की जागी चहुं दिशा जनभावना
भरत भूमि भारत में होगी राम राज्य स्थापना
महामना जगदीश गुप्त