नजर में हूर उतरे और सुखन से नूर बरसे मुकाबिल हो अगर गर्दूं समझ लेना कि होली है बधाई रंग-ऐ-मौसम की हवाएं गोद भर लायें कलम जब रंग बरसाए ,समझ लेना कि होली है
नीरज ने भी समझाया आपने भी समझाया नासमझ इतने कि फिर भी समझ न आया. अकड़ -पकड़ जब रंग पड़े, घिस-घिस उन्हें छुड़ाया नींद खुमारी जब उतरी तब समझा ये तो "हो" ली.
होली की मुबारकबाद,पिछले कई दिनों से हम एक श्रंखला चला रहे हैं "रंग बरसे आप झूमे " आज उसके समापन अवसर पर हम आपको होली मनाने अपने ब्लॉग पर आमंत्रित करते हैं .अपनी अपनी डगर । उम्मीद है आप आकर रंगों का एहसास करेंगे और अपने विचारों से हमें अवगत कराएंगे .sarparast.blogspot.com
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
होली की हार्दिक् शुभकामनाएं। भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है। लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है । कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है । मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें www.zindagilive08.blogspot.com आर्ट के लिए देखें www.chitrasansar.blogspot.com
सादर अभिवादन आपकी रचना पढना बहुत अच्छा अनुभव रहा रंगो के इस त्यौहार पर सह्रिदय असीम शुभकामनाएं ...
एक मुक्तक परिचय का ..
हमारी कोशिशें हैं इस , अन्धेरे को मिटाने की हमारी कोशिशें हैं इस , धरा को जगमगाने की हमारी आंख ने काफ़ी बडा सा ख्वाब देखा है हमारी कोशिशें हैं इक , नया सूरज उगाने की
और
तीन मुक्तक होली पर
लगें छलकने इतनी खुशियां , बरसें सबकी झोली मे बीते वक्त सभी का जमकर , हंसने और ठिठोली मे लगा रहे जो इस होली से , आने वाली होली तक ऐसा कोई रंग लगाया , जाये अबके होली मे
नजरें उठाओ अपनी सब आस पास यारों इस बार रह न जाये कोई उदास यारों सच मायने मे होली ,तब जा के हो सकेगी जब एक सा दिखेगा , हर आम-खास यारों
और
मौज मस्ती , ढेर सा हुडदंग होना चाहिये नाच गाना , ढोल ताशे , चंग होन चाहिये कोई ऊंचा ,कोई नीचा , और छोटा कुछ नही हर किसी का एक जैसा रंग होना चाहिये
शुभकामनाओ सहित डा. उदय मणि http://mainsamayhun.blogspot.com
ब्लाग संसार में आपका स्वागत है। लेखन में निरंतरता बनाये रखकर हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें। नये रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को shabdkar@gmail.com पर रचनायें भेज सहयोग करें। रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
नीरज ने भी समझाया
ReplyDeleteआपने भी समझाया
नासमझ इतने कि
फिर भी समझ न आया.
अकड़ -पकड़ जब रंग पड़े,
घिस-घिस उन्हें छुड़ाया
नींद खुमारी जब उतरी
तब समझा ये तो "हो" ली.
होली पर हमारी हार्दिक शुभकामनाये .
होली की मुबारकबाद,पिछले कई दिनों से हम एक श्रंखला चला रहे हैं "रंग बरसे आप झूमे " आज उसके समापन अवसर पर हम आपको होली मनाने अपने ब्लॉग पर आमंत्रित करते हैं .अपनी अपनी डगर । उम्मीद है आप आकर रंगों का एहसास करेंगे और अपने विचारों से हमें अवगत कराएंगे .sarparast.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletebahut sunder abhivyakti hai holi mubarak
ReplyDeleteuttam, narayan narayan
ReplyDeleteहोली की हार्दिक् शुभकामनाएं।
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
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मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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सादर अभिवादन
ReplyDeleteआपकी रचना पढना बहुत अच्छा अनुभव रहा
रंगो के इस त्यौहार पर सह्रिदय
असीम शुभकामनाएं ...
एक मुक्तक परिचय का ..
हमारी कोशिशें हैं इस , अन्धेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस , धरा को जगमगाने की
हमारी आंख ने काफ़ी बडा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक , नया सूरज उगाने की
और
तीन मुक्तक होली पर
लगें छलकने इतनी खुशियां , बरसें सबकी झोली मे
बीते वक्त सभी का जमकर , हंसने और ठिठोली मे
लगा रहे जो इस होली से , आने वाली होली तक
ऐसा कोई रंग लगाया , जाये अबके होली मे
नजरें उठाओ अपनी सब आस पास यारों
इस बार रह न जाये कोई उदास यारों
सच मायने मे होली ,तब जा के हो सकेगी
जब एक सा दिखेगा , हर आम-खास यारों
और
मौज मस्ती , ढेर सा हुडदंग होना चाहिये
नाच गाना , ढोल ताशे , चंग होन चाहिये
कोई ऊंचा ,कोई नीचा , और छोटा कुछ नही
हर किसी का एक जैसा रंग होना चाहिये
शुभकामनाओ सहित
डा. उदय मणि
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ReplyDeleteनये रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को shabdkar@gmail.com पर रचनायें भेज सहयोग करें।
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