Tuesday, August 11, 2009

आत्म वंचना करके किसने क्या पाया
कुंठा और संत्रास लिए मन कुह्साया

इतना पीसा नमक झील खारी कर डाली
जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली
नहीं सहेजे सुमन न मधु का पान किया
सर से ऊपर चढ़ी धूप तो अकुलाया

सूर्या रश्मियाँ अवहेलित कर ,निशा क्रयित की
अप्राकृतिक आस्वादों पर रूपायित की
अपने ही हाथों से अपना दिवा विदा कर
निज सत्यों को नित्य निरंतर झुठलाया

पागल की गल सुन कर गलते अहंकार को
पीठ दिखाई ,मृदुता शुचिता संस्कार को
प्रपंचताओं के नागों से शृंगार किया
अविवेकी अतिरेकों को अधिमान्य बनाया

22 comments:

  1. इतना पीसा नमक झील खारी कर डाली
    जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली
    नहीं सहेजे सुमन न मधु का पान किया
    सर से ऊपर चढ़ी धूप तो अकुलाया

    wah gafil ji, satya saheje , vishudh hini shabdon ka prayog , kul mila kar behatareen geet. badhaai.

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  2. ऐसी ऐसी रचनाएँ पढ़ कर मन को धक्का लगता है. मन कहता है 'सर्वत! बहुत तीस मार खां बनते थे ना! अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे.' ऊपर वाला ये तेवर बनाये रखे.

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  3. सरवत जी ने बिल्कुल सही कहा है. रचना बहुत उम्दा है. अलग ही तेवर लिये है. बधाई

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  4. सर्वत भाई
    न कोई ऊँट न कोई पर्वत
    मैं गर्दूं तुम सर्वत तुम शर्बत

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  5. बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब गीत लिखा है आपने! बहुत बढ़िया लगा!

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  6. आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती’

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  7. आपके ब्लॉग पे आती रही ...कई बार टिप्पणी करनेकी बात भी सोची ..लेकिन हाथ रुक गए ..आपकी रचनायों पे मै, अदना-सी व्यक्ती, क्या लिखूँ ?

    लेकिन आपकी कमी मेरे ब्लॉग पे ज़रूर महसूस करती हूँ...

    "meree jaan rahe naa rahe,
    meree mata ke sarpe taaj rahe.."

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://lalitlekh.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

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  8. 'kahanee' blog pe comment ke liye tahe dilse shukriya!

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  9. एक अन्य ब्लॉग परसे आपका लिंक लेके आयी हूँ ..पढ़ना जारी है ..आप तो comment भी इतनी सुंदर रचना लिख, पेश करते हैं , जिसका जवाब नही ..!

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  10. आत्म वंचना करके किसने क्या पाया sahi baat hai..जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली ..banmali ki kismat..ek boht hi khoobsurat kavita...

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  11. Kya aapkee e-mail iD ke liye iltija kar sakti hun? Ek zarooree messege dena chaah rahee thee..!Gar aitraaz na ho to, shukr guzaar rahungee..!

    Meree email ID de rahee hun:
    kshamasadhana8@gmail.com

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  12. रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

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  13. गर्दू गाफिल आप टिप्पडी मांग रहे हैं.
    यानी ब्लोगर को सूली पर टांग रहे हैं .
    'उनके' ऊपर छोड़ रखा है आना-जाना.
    किसी पोस्ट पर जाना और कमेन्ट दे आना
    लेकिन आप संत, ज्ञानी हैं, देवर भी हैं.
    शब्द-टिप्पडी नहीं ये 'गर्दू' घेवर भी हैं.

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  14. पागल की गल सुन कर गलते अहंकार को
    पीठ दिखाई ,मृदुता शुचिता संस्कार को
    प्रपंचताओं के नागों से शृंगार किया
    अविवेकी अतिरेकों को अधिमान्य बनाया

    कुछ कठिन फलसफे दे जातीं हैं आपकी पंक्तियाँ ......!!

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  15. इतनी कठिन हिन्दी के शब्द ,भाई किसी विश्वविद्यालय में साहितियिक हिन्दी के प्रोफेसर हो क्या ,हमें तो पूरे गीत का अर्थ छात्र मान के समझाओ.

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  16. शानदार कविता ने तबियत खुश कर दी.

    बधाई! बधाई!! बधाई!!!

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  17. नहीं सहेजे सुमन न मधु का पान किया
    सर से ऊपर चढ़ी धूप तो अकुलाया ....


    ...kavita ka bhav paksh aur kala paksh dono hi adbhoot hain...

    badhai !!

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  18. इतना पीसा नमक झील खारी कर डाली
    जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली
    umda abhivyakti..hamesha ki tarah..

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  19. gaafi ji ,
    namaskaar !
    aapko padhna hamesha hi ek sukhad anubhav
    rehta hai , , ,
    gehri, t`tsm shabdaawali ka saarthak upyog kar pana bs aap hi ke bs ki baat hai
    hr baar kisi naye drshn se saakshaatkaar !!
    abhivaadan svikaareiN .
    ---MUFLIS---

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  20. kshmaa chaahta hooN
    oopar "gaafil ji" ki jagah kuchh adhoora chhp gaya hai...just a typing mistake ...
    ---MUFLIS---

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