Friday, May 19, 2017

अल्पनाओं में कल्पनाओं में

अल्पनाओं में कल्पनाओं के रंग लगे झरने 
संदल स्वप्निल दृश्य दिवस निशि हृदय लगे भरने 

सुख सरिता के स्रोत सुगम ,उन्मीलित माणिक दृग 
रोम रोम आह्लाद मुदित ,कंचन कस्तूरी मृग 
नवल धवल स्नेहमयी काया पुलकित पुलकित 
रिक्त व्योम में आकुल आतुर मेघ लगे घिरने 

नन्दित वन मयूर सम क्रम पर उन्मादित पथ संच 
सहज विराजित स्वयंश्री का गर्वित शोभित मंच 
तरुणाई पर अरुणाई का लाश्य लाश्य नर्तन 
अभिलाषित चातक अभिनंदित ,रूप सुधा वरने 

सहज दर्पिता रूप गर्विता कीलय वाक विलास 
मद्द मधु ऋतु ,सौम्य संहिता ,सत्कारी शुभ  हास 
सुभ्र दन्तिका चित्र पदमिनी ,धीर धरा गंभीर 
उद्धेलित कर्षण ,आकांक्षित ,विंध्य भर धरने 

चंद्रमुखी के अधर मध्य में पल्ल्व पंकज देश 
कौतुक कटि हठ ,धनिक कम्बु घट,विन्यासित पट केश 
उन्नत हिमगिरि ,मध्य शिवा सा अद्भुत अभाकाश 
चकित काम , संधान त्याग तज , जुटा  भक्ति करने 

जगदीश महामना "गर्दू ग़ाफ़िल "

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