Thursday, May 16, 2019

रौशनी के दिए हाथों में लिए

रौशनी के दिए
हाथों में लिए
बांटते जाएंगे
प्रेम सुरभित सुमन
सिंहवीरो की है
ये पावन धरा 
मां भारती तुझे
शत शत नमन

हम स्वयं ही बने
धूप भी होम भी
हम स्वयं का करें
आचमन हितवतन
तिल तिल जलें
तेरी पूजा में हम
बांधा तेरे लिए मां
सर पे कफन

दूषणों के लिए
अग्नि का पुंज हैं
भूषणों के लिए
पुष्प के कुंज हैं
निर्मिति के लिए
श्रम के साधन हैं हम
स्वेद सरिताओं से
कर रहे हैं सृजन

मां के श्रृंगार को
मां के उत्कर्ष को
मां के उल्लास को
माता के हर्ष को
हम कटिबद्ध हैं
स्वयं प्रतिब्दह हैं
आत्मआहूतियां दे
कर रहें हैं हवन

भू का मंडल कोई
अंतरिक्ष शून्य हो
हर कहीं भारती का
प्रशस्ति पुण्य हो
दिव्य की चेतना
भव्य आयोजना
मातृभू के लिए
सहेंगें हर तपन

No comments:

Post a Comment

LinkWithin

विजेट आपके ब्लॉग पर