Wednesday, June 26, 2019

उर्दू एक विशलेषण

खाद्य वैज्ञानिक अन्वीक्षण अनुसंधान करके यह बताते हैं
कि कुछ मिश्रण औषधि बन जाते हैं
किंतु
कुछ मिश्रण घातक विष बन जाते हैं

इस पटल पर भाषा पर  प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक हैं
आपने भी भाषा के प्रभावों को अनुभव किया होगा

कुछ  अन्वीक्षण अनुभव मेरे भी हैं
आपके अनुभव में इनका विस्तार या प्रतिकार जो भी हो कृपा कर साझा करेंगें

अखंड भारत के विभाजन के लिए अनेक अध्येता इस्लाम को उत्तर दायी ठहराते हैं
किंतु बांग्लादेश के जन्म का अनुभव इसका खंडन करता है
बांग्लादेश बना क्यों कि उर्दू भाषी बांग्लाभाषी को अपने ऊपर स्वीकार नहीं कर सकते । संवैधानिक रूप से बहुमत में आने के उपरांत भी अपना नेता नहीं मान सके । बांग्ला भाषियों को स्वयं से हीन व निम्न मानने की ग्रंथि उनमें थी ।

अर्थात अपवाद छोड़कर अन्य भाषाओं व भाषियों पर प्रभुत्व की लालसा उर्दूभाषियों में होती है

ऐसा क्यों होता होगा

कुछ कारण ध्यान में आते हैं

उर्दू का अर्थ छावनी है और यह शब्द छावनीमें बोली जाने वाली भाषा के लिए रूढ़ हो गया है।
छावनी युद्ध के लिए निकले सैनिकों के पड़ाव को कहते है
युद्धरत की सैनिक मानसिकता ही उर्दू बोलने वाले की मानसिकता बन जाती है अपवाद छोड़ कर ।

वैसे तो उर्दू एक बोली के रुप में विकसित हुई थी क्यों कि भारत के राज्यो को लूटने आए मूल लुटेरे आक्रमणकारी ' ,सैनिक व सेनापति रेगिस्तानी राज्यों यथा अरबी फारसी या तुर्की भाषाई होते थे । उन्हें आपस में व  भारतीय नागरिको विशेषकर स्थानीय स्तर पर नियोजित गए स्थानीय सैनिकों व सहायकों व दासों से संवाद के लिए प्रयास करने होते थे । इन्हीं प्रयासों में हिंदी वाक्य विन्यास में आक्रमणकारी सैनिक अपनी भाषाओं के शब्द भी प्रयोग करते थे I नियमित उपयोग होने से स्थानीय सेवको व सैनिकों ने यह शब्द सीख लिए।
वे अपने स्वामियों / सेनापतियों को प्रसन्न करने अधिकाधिक शब्द प्रयोग कर उनकी कृपा व पुरूस्कार पाने का प्रयास करते।
आज भी उर्दू रचनाकारों व बोलने  वालों के मन में यह चाटुकारिता का भाव व पुरस्कार का लालच महत्वपूर्ण कारण होता है

शेष ..

भारत में तब भी विशुद्ध अरबी विशुद्ध फारसी व विशुद्ध तुर्की साहित अनेक विदेशी भाषाओ के विद्वान थे । व्यापार व राज्यकी सुरक्षा के लिए यह आवश्यक भी था ।

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