Monday, November 24, 2025

विपरीत दृष्टि को 'पतन' , , 'उत्थान' दिखता है शातिरों को बड़ा शातिर सदा भगवान दिखता है ऐब दिखते हैं औरो में अमल में फर्क रखते हैं आइने में नहीं इनको अपना शैतान दिखता है जलन में जल गए इतने जला डाला वतन अपनाअल्फलाह के लिए , , जलजला ईमान दिखता है खातिरेअल्फलाही के न जाने कामयाबी की इनकी है कौन पैमाईशजिंदगी जहन्नुम करके दीन परवान दिखता हैगर्द से भर गया ग़रदूं जमीं पर पट गई लाशेंवहशतों दहशतों में कौन सा सम्मान दिखता हैहरकते कायराना को शबाबे-दीन मत समझोनजरें खुदा ये कारनामा अहमकान दिखता है बेशर्मी की हद होती है इनके आगे वह भी रोती है ऐतबार तो कोई न करताबदकारी इनको ढोती है सिर्फ नफरते और नफरते मक्कारी से शब होती हैबाल सुअर का पड़ा दीद मेंइनको लगता वह मोती है जबजब मोदी का यश होताखुल जाती इनकी धोती हैमम

विपरीत दृष्टि को 'पतन' ,   ,  'उत्थान' दिखता है 
शातिरों को बड़ा शातिर सदा भगवान दिखता है 

ऐब दिखते हैं औरो में    अमल में फर्क रखते हैं 
आइने में नहीं इनको  अपना  शैतान दिखता है 

जलन में जल गए इतने जला डाला वतन अपना
अल्फलाह के लिए , , जलजला ईमान दिखता है 
खातिरेअल्फलाही के 

न जाने कामयाबी की  इनकी है   कौन पैमाईश
जिंदगी जहन्नुम करके     दीन परवान दिखता है

गर्द से भर गया ग़रदूं       जमीं पर पट गई लाशें
वहशतों दहशतों में कौन सा सम्मान दिखता है

हरकते कायराना को    शबाबे-दीन मत समझो
नजरें खुदा  ये कारनामा   अहमकान दिखता है  

बेशर्मी की      हद होती है 
इनके आगे वह भी रोती है 

ऐतबार तो  कोई न करता
बदकारी     इनको ढोती है 

सिर्फ नफरते और नफरते 
मक्कारी से   शब होती है

बाल सुअर का पड़ा दीद में
इनको लगता  वह मोती है 

जबजब मोदी का यश होता
खुल जाती  इनकी  धोती है

मम

Friday, June 20, 2025

स्पान्टेनियस फ्लो के तीन गीत

स्पॉन्टेनियस फ्लो के तीन गीत
1
गीत गाना धन कमाना बस यही तो काम है
बेचते हैं वीर रस भी लक्ष्य केवल दाम है ।

बुझ चुके है प्रज्ञ-चक्षु संवेदना का तंत्र विकृत
राज्य के चरणों में बैठे श्री राम के कापुरुष वंशज
राजदासों में अवस्थित राम के कापुरुष वंशज
जाति पर लड़ने को उद्यत राक्षसों से संधि तत्पर
वेदांत के थाती न सम्हली चर्वाक जैसे काम है 
ज्वालामुखी हैं ईर्ष्या के श्रीबुद्ध के सहगाम है

लिख रहे नित पोथियां दृष्टि में याचन प्रशस्ति
सिद्ध वाणी हो गई तो अहमन्यता में धंस गए 
कई उलूकाचार्य बैठे व्यास जी की पीठ पर 
वीरता गानी थी जिनको गा रहे वे काम हैं
काम लोभी दाम लोभी बेचते अध्यात्म हैं

साकार हो जाए सृजन कृत्य हो जाए कथानक
दुष्ट के संहार को "कोदंड" हो जाए विचारक
बन सुदर्शन स्वयं काटे दल सनातन शत्रु के
लेखनी हो सार्थक तब धन्य वन्दे मातरम्
नटराज के साधन सघन कृष्ण के अनुगाम है
कह सकेंगे गर्व से आराध्य अपने राम हैं 

2

कैसे लोकतंत्र में हम है 
कुलघाती को सम अधिकार 
नैतिकता का और पतन क्या
संहिताओ का यह व्यभिचार

जिसने अपहृत कर विधान को
(कु )शोधन विधान कर डाला
रक्षक बन कर वही घूमता
जपता संविधान की माला 
इससे और अधिक क्या होगा
नैतिकता का बलात्कार 

समदर्शी का स्वांग रचाए 
एकांगी दृष्टि से काना
ठगी की सब उपमाएं छोटी
ऐसे षड़यंत्रो को ताना 
अदलबदल कर बाने अपने
आतुर है बनने सरकार

कहता है निरपेक्ष स्वयं को 
 एक पक्ष को काट रहा है
फिरे घूमता आग लगाता 
जाति कौम में बांट रहा है 
ऐसा कैसा विरू विपक्ष है 
शत्रु सा जिसका व्यवहार

3

रेगिस्तानों के गुलाम ओ
मत करो प्रदूषित बंग को
निगल जाएगा दावानल सब
हवा न दो इस जंग को 

गिरगिट जैसे मत बांचो
मजहब की कितआब को
फल कर्मो का मिलता ही है
मत भूलो इस पाठ को
माहौल बिगड़ने से पहले
लुढ़काओ विषैले रंग को 

मकसद का हो गया खुलासा
कठपुतली किरदार सियासी
गोद में जा बैठे हो उसकी
दी जिसने मजहब को फाँसी 
अंजाम सोच लो क्या क्या होगा
तुम बांट रहे जिस भंग को

ख्वाब एक कश्मीर का
ले उड़ा आबरू पाक की
तुमकों भी लेकर डूबेगी 
आहें हिंदू ए बंगाल की 
मत तांडव को करो निमंत्रित
करो न दूषित गंग को 

.

रेगिस्तानों के ओ कासिद

मम

Wednesday, May 28, 2025

विनय न मानत जलधि जड़ ये लातो के मीतचाकर से मत आस कर भय बिन होय न प्रीत हम अनुगामी थे शौर्य के सिंहो के आदर्शभेड़ो के अनुगमन के हम कब हुए प्रदर्श करते रहो सवाल कि जब तक स्याही न जाए सूखमृगतृष्णा है आस कि जिनको धन मद पद की भूख

विनय न मानत जलधि जड़  ये लातो के मीत
चाकर से मत आस कर भय बिन होय न प्रीत

हम अनुगामी थे शौर्य के सिंहो के आदर्श
भेड़ो के अनुगमन के   हम कब हुए प्रदर्श

करते रहो सवाल कि जब तक स्याही न जाए सूख
मृगतृष्णा है आस कि जिनको धन मद पद की भूख

Saturday, May 24, 2025

छू दोगे गर लव से तुम ये कलाम गजल हो जाएगाकरो कुबूल मुहब्बत से ये सलाम गजल हो जाएगा हर इक सीने में इक दिल हर दिल में इक नाम रहेजिस नाम को दोगे अपना दिल वो नाम गजल हो जाएगामिलन के कई बहाने ग़रदूं ईद दीवाली होली हैआओगे जिस काम से मिलने वो काम गजल हो जाएगा

छू दोगे गर लव से तुम ये कलाम गजल हो जाएगा
करो कुबूल मुहब्बत से ये सलाम गजल हो जाएगा 

हर इक सीने में इक दिल हर दिल में इक नाम रहे
जिसको दोगे अपना दिल वो नाम गजल हो जाएगा

मिलन के कई बहाने ग़रदूं ईद दीवाली होली है
मिलने की जो वजह बने वो काम गजल हो जाएगा

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