Thursday, March 26, 2020

जुबां खानदान का पूरा पता देती है 
सीरतोअक्ल और इल्म बता देती है

घुस आए हैं उन्ही को डर लगता है 
चोर की दाढ़ी  बूटे का पता देती है

घिर के आई  ये कारी बदरिया कैसी
हवा की मौज मौसम का पता देती है 

बयां पे हंसते रहे उनके कोतो काजी 
आंख की चाल शरारत का पता देती है 

गंरदू को नहीं मालूम तुम्हारी तबियत
जर्द सूरत ही बीमारी का पता देती है 

ग़रदू गाफिल

No comments:

Post a Comment

LinkWithin

विजेट आपके ब्लॉग पर