Sunday, August 25, 2024

बड़े दिनों के बाद अफातु भाषा की एक रचनाकारवा ए तूफां गुजारा कहां है अभी संग ढ़ग से उछाला कहां हैउड़ जाएगें तमाम हमामों के पर्देअभी जोश ने जोश पाला कहां हैअभी अपने अहलेअहद में हैं बैठे औ कोई परचम निकाला कहां हैगुलूकार हम भी हैं माहिरे फनहमें मौसिकी ने संभाला कहां हैऐ ग़रदूं गज़ल तेरी है ये अधूरीअभी इश्क इसमें डाला कहां है

बड़े दिनों के बाद अफातु भाषा की एक रचना

कारवा ए तूफां गुजारा कहां है 
अभी संग ढ़ग से उछाला कहां है

उड़ जाएगें तमाम हमामों के पर्दे
अभी जोश ने जोश पाला कहां है

अभी अपने अहलेअहद में हैं बैठे 
औ कोई परचम निकाला कहां है

गुलूकार हम भी    हैं    माहिरे फन
हमें  मौसिकी  ने संभाला कहां   है

ऐ  ग़रदूं  गज़ल  तेरी  है  ये अधूरी
अभी  इश्क   इसमें  डाला कहां है

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25/8/2017

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