Tuesday, December 4, 2018

गर चांदनी उतर कर

गर चांदनी उतर के दामन से लिपट जाए
ऐसे हसीन लम्हें कोई कैसे भूल जाए

रिश्ता अजीब  है ये तेरा और जमाने का
तू आरजू बढ़ाए  ये बँदिशे बढ़ाए


चेहरे से चरागां कि चरागों से तेरा चेहरा
किससे है कौन रोशन दिल को समझ न आए

तारीफ तेरी कोई तकरीर तो नहीं है
जो दिल में नहीं है वो कैसे कहा जाए


चस्पां हैं इस बदन पे तेरे बोसों के सितारे
चाहे न चाहे ग़रदूं हर रात जगमगाए

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