Tuesday, December 4, 2018

मोहब्बते दूरियो का गम नहीं करतीं

मोहब्बते दूरियों का ग़म नहीं करतीं
दूरियां मोहब्बतों को कम नहीं करती

मैं चाहूं भी तो कैसे रुक के रहूं कहीं
हवाएं कोई मुकाम कायम नहीं करती

वो सिलसिला ए खत होता था दवाएदम
अब शहर की हवाएं तरदम नहीं करंतीं

फिर से साबित कर दिया खत ने तुम्हारे
खुश्बुएं खिजांओं का मातम नहीं करतीं

दिलजलों से बातें नाहक ही दिल जलाना
ग़रदूं ये तेरी बाते अब मरहम नहीं करतीं

आए , गए ,न ठहरे ,पहलू में ,जरा भी
वेवक्त की बरसातें मौसम नहीं करतीं

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