Monday, December 3, 2018

चांद रूठे या किसी दिन

चांद रूठे या किसी दिन गम घटा बन छाएगा
जब कभी होगी ज़रूरत दिल जलाया जाएगा

ऐ खुदा मुझको बना दे तू चरागे - रहगुजर
यूं मेरा जलना किसी के काम तो आ जाएगा

आंसुओ को ढाल ले तू बादलो में गीत के
जा बरस मनमीत घर , कुछ राहते दे आएगा

मत दे हवाओं को हवा इस मौसमे खुदगर्ज में
क्या पता किस बात पे क्या हादसा हो जाएगा

आग ए नफ्रत भी जलाए और मुहब्बत भी सदा
सोच ले तू किस रजा के साथ में निभ पाएगा

तू जला दे शौक से गरदूं को घर का गम नहीं
पर ये वादा कर यहां से रौशनी ले जाएगा


जोड़ते ही दौड़ते ही हम रहे ये भूलकर
जाएगा आखिर में हर इक हाथ खाली जाएगा

मैं चारागे जीस्त  होकर कर सकूं रौशन तुम्हें
दौड़ता ही तू रहा और जोड़ता ही तू रहा (ये भूलकर)

No comments:

Post a Comment

LinkWithin

विजेट आपके ब्लॉग पर