Sunday, July 5, 2015

चांदनी चांदनी चांदनी हो गई


चांदनी चांदनी चांदनी हो गई
 मुस्कुराए जो तुम चांदनी हो गई

मेरी तनहाइयाँ मुस्कुराने लगीं
मिलने आए जो तुम चांदनी हो गई

मौसमेहिज्ऱ में तब बहार आ गयी
गुनगुनाए जो तुम चांदनी हो गई

टिमटिमाते च़रागों की लौ बढ़ गई
याद आए जो तुम चांदनी हो गई

ज़िन्दगी की तलब जागउठी बाबहर
झिलमिलाए जो तुम चांदनी हो गई

खिलखिलाने लगीं खुश्बुएं हर तरफ
कुनमुनाए जो तुम चांदनी हो गई

घर लबे बाम पर चांद आया उतर
देख आए जो तुम चांदनी हो गई

[11:45AM, 16/02/2015] jgdis Gupt:
महामना गर्दूं


No comments:

Post a Comment

LinkWithin

विजेट आपके ब्लॉग पर